Thursday 5 January 2012

"स्मृतियां"

तुम बिछड़ गए,
तुम बिसर गए ,
ख़्वाबो की अनगिनत लड़ियों में....

धूलों से सनी यादों को, मैंने है आज तराशा,
कुछ यादें जीवन की है, कौतुहल सी मचाती,
कुछ चेहरे जिनसे, रिश्ते टूट गए ,
कुछ चेहरे जिनसे. रिश्ते उलझ गए,
कुछ चेहरे जो हमें छोड़ गए,
कुछ चेहरे जो अब याद नहीं...

तुम बिछड़ गए,
तुम बिसर गए ,
ख़्वाबो की अनगिनत लड़ियों में....

जीवन की इन पगडंडियों पर,
कुछ घड़ियाँ जो अब साथ नहीं,
कुछ घड़ियाँ जो अब पास नहीं,
कुछ घड़ियाँ जो अब रास नहीं...

तुम बिछड़ गए,
तुम बिसर गए ,
ख़्वाबो की अनगिनत लड़ियों में....

जिंदगी के कई मुकामों से,
इकठ्ठे कुछ सामान
जिंदगी के कई मुहानों से,
इकठ्ठे कुछ ज्ञान
जिंदगी के कई रंग से,
इकठ्ठे कुछ एहसास.....

तुम बिछड़ गए,
तुम बिसर गए ,
ख़्वाबो की अनगिनत लड़ियों में....